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बुधवार, 6 जून 2018

भारत विभाजन का दर्द

भारत विभाजन का दर्द

आ जा चित्तवन के चकोर

आ जा चित्तवन के चकोर

ज्वार उठाना होगा-मस्तक कटाना होगा

ज्वार उठाना होगा - मस्तक कटाना होगा

सोमवार, 28 मई 2018

ज्वार उठाना होगा - मस्तक कटाना होगा

महासमर की बेला है
वीरों अब संधान करो,
शत्रु को मर्दन करने को,
त्वरित अनुसंधान करो |
मातृभू की खातिर फिर
लहू बहाना होगा;
ज्वार उठाना होगा,
मस्तक कटाना होगा|
सिंहासन की कायरता से ,
संयम अब डोल रहा
चिरस्थायी संस्कृति हित ,
कडक संघर्षों को खोल रहा|
अखिल विश्व की दिव्य मनोरथ,
अधरों में अब डोल रहा,
लुट रही मानवता नित-क्षण
लंपट सदा कायरों की भाषा
बोल रहा|
वीरों को आगे आना होगा,
संघर्ष शिवाजी सा –
सतत् बढाना होगा
आतंक भगाना होगा,
जिहाद मिटाना होगा |
उठो! अमर सपूतों,
और एक बार
मस्तक कटाना होगा,
भारत बचाना होगा
समृद्धि लाना होगा !
अखंड भारत अमर रहे !
©
कवि आलोक पाण्डेय

गुरुवार, 26 अप्रैल 2018

वह

                                  वह                                    



              
                   वह         


आर्त्त गैया की पुकार

                  आर्त्त गैया की पुकार                                      





कहो सत्य कथा विस्तृत

                         कहो सत्य कथा विस्तृत                        




कहो सत्य कथा विस्तृत !

राष्ट्रकवि आलोक पान्डेय

अहो बन्धु ! कहो सत्य कथा विस्तृत
शुद्ध-भाव,उन्नत विचार लेकर हूँ प्रस्तुत
योगिराज की ध्यान सुना दो
या सुना दो जयघोष,
हिमालय सा अटल, हिमगिरी की गंगा सा निर्मल
अहा , कैसा विराट् वीरों का रोष !
वीर विक्रमों का गौरव सत्य का संधान,
सुना दो या कोई ‘विजयध्वज’ का अनुसंधान
जयजयध्वनि प्रतिमन्दिरों का या,
सुना दो शाश्वत अपौरूषेय वेदघोष
ज्वाल्यन्ते करालानी,या पुराणों का शौर्य जय घोष |
सुगंधित तुलसीवनानी सा या खौलते रूधिर-धारा का प्रवाह;
अनल ज्वलन ‘अरि’ विविध का,
परितः प्रस्फुट नीति-न्याय संवाह|
दृश्य न्याय-दर्शन सदा, अवलोक्यते शौर्य संचार
पूरयति सत्य अनेक शतकानी,
व्यतितानी यदि शुद्ध विचार
चन्द्रमण्डल सा धवल परिवेेष्टित ,
मन्ये कथितं तेज उत्कर्ष ;
कालवेग प्रकम्य सतत् वीरों का,
ज्ञायते तेजपुञ्ज हे भारतवर्ष !
अखंड भारत अमर रहे
वन्दे मातरम् !
जय हिन्दुस्थान हिन्दू भूमि
©

कवि आलोक पाण्डेय

बुधवार, 28 मार्च 2018

आज मेरा मन डोले !

🌇


आकुल-व्याकुल आज मेरा मन, ना जाने क्यों डोले…
विघटित भारत की वैभव को ले ले,
भाषा इंकलाब की बोले,
आज मेरा मन डोले !
कष्टों का चित्रण कर रहा व्यथित ह्रदय मेरा
सुदृढ़ दासता और बंधन की फेरा…..
उजड़ रही जीवों की बसेरा,
सुखद शांति की कब होगी सबेरा…..!
न्यायप्रिय शांति के रक्षक, त्वरित क्रांति को खोलें….
आज मेरा मन डोले…..!
भाषा इंकलाब की बोले…..!
वृथा ! भारत क्या यही भारत है
किस आखेट में संघर्षरत है
सतत् द्रोह बढता अनवरत है
नहीं कहीं मानवताव्रत है…?
संकुचित पीडित सीमाएँ कहती , पूर्ववत फैला ले
आज मेरा मन डोले !
भाषा इंकलाब की बोले
जीर्ण – शीर्ण वस्त्रों में रहकर
वर्षा- ताप- शीतों को सहकर
चना-चबेना ले ले , भूखों रहकर...
स्वदेश भक्ति न छोडा, प्राण भी देकर
यशगाथा वीरों की पावन, नयन नीर बहा ले….
आज मेरा मन डोले…..!
भाषा इंकलाब की बोले…
उथल-पुथल करता मेरा मन……
ना जानें क्यों डोले
भाषा इंकलाब की बोले…

- कवि पं आलोक पान्डेय

शनिवार, 17 मार्च 2018

नव संवत्सर


अंग्रेजी कालगणना ने इस वर्ष अपने 2018 वें वर्ष में पदार्पण किया है, जबकि हिन्दू कालगणना के अनुसार इस चैत्र शुक्ल 1 को 15 निखर्व, 55 खर्व, 21 पद्म (अरब) 93 करोड 8 लाख 53 सहस्र 120 वां वर्ष आरंभ हो रहा है ।
(टिप्पणी : 1 खर्व अर्थात 10,00,00,00,000 वर्ष (हजार करोड या वर्ष)
और 1 निखर्व अर्थात 1,00,00,00,00,000 वर्ष (दस हजार करोड वर्ष)
नव संवत्सर 2075 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा , 18 मार्च 2018 से प्रारंभ हो रहा है यही हिन्दुओं का नया वर्ष है, इसे धूमधाम से जरूर मनाए ।
चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा ही हिन्दुओं का वर्षारंभ दिवस है; क्योंकि यह सृष्टि की उत्पत्ति का पहला दिन है । इस दिन प्रजापति देवता की तरंगें पृथ्वी पर अधिक आती हैं ।
भारतीय नववर्ष की विशेषता   –
पुराणों में लिखा है कि जिस दिन सृष्टि का चक्र प्रथम बार विधाता ने प्रवर्तित किया, उस दिन चैत्र सुदी 1 रविवार था। हिन्दुओं के लिए आने वाला संवत्सर 2075 बहुत ही भाग्यशाली होगा , क़्योंकि इस वर्ष भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को रविवार है,   शुदी एवम  ‘शुक्ल पक्ष एक ही  है।
चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि (प्रतिपद या प्रतिपदा) को सृष्टि का आरंभ हुआ था। हिन्दुओं का नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शरू होता है । इस दिन ग्रह और नक्षत्र में परिवर्तन होता है । हिन्दी महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है ।
पेड़-पौधों में फूल ,मंजर ,कली इसी समय आना शुरू होते हैं , वातावरण मे एक नया उल्लास होता है जो मन को आह्लादित कर देता है। जीवों में धर्म के प्रति आस्था बढ़ जाती है । इसी दिन ब्रह्मा जी  ने सृष्टि का निर्माण किया था । भगवान विष्णु जी का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था। नवरात्र की शुरुअात इसी दिन से होती है । जिसमें हिन्दू उपवास एवं पवित्र रहकर नववर्ष की शुरूआत करते हैं।
परम पुरूष अपनी प्रकृति से मिलने जब आता है तो सदा चैत्र में ही आता है। इसीलिए सारी सृष्टि सबसे ज्यादा चैत्र में ही महक रही होती है। वैष्णव दर्शन में चैत्र मास भगवान नारायण का ही रूप है। चैत्र का आध्यात्मिक स्वरूप इतना उन्नत है कि इसने वैकुंठ में बसने वाले ईश्वर को भी धरती पर उतार दिया।

न शीत न ग्रीष्म। पूरा पावन काल। ऐसे समय में सूर्य की चमकती किरणों की साक्षी में चरित्र और धर्म धरती पर स्वयं  श्रीराम रूप धारण कर उतर आए,  श्रीराम का अवतार चैत्र शुक्ल नवमी को होता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि  के ठीक नवे दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था । आर्यसमाज की स्थापना इसी दिन हुई थी । यह दिन कल्प, सृष्टि, युगादि का प्रारंभिक दिन है । संसारव्यापी निर्मलता और कोमलता के बीच प्रकट होता है  हिन्दुओं का नया साल विक्रम संवत्सर विक्रम संवत का संबंध हमारे कालचक्र से ही नहीं, बल्कि हमारे सुदीर्घ साहित्य और जीवन जीने की विविधता से भी है।
कहीं धूल-धक्कड़ नहीं, कुत्सित कीच नहीं, बाहर-भीतर जमीन-आसमान सर्वत्र स्नानोपरांत मन जैसी शुद्धता। पता नहीं किस महामना ऋषि ने चैत्र के इस दिव्य भाव को समझा होगा और किसान को सबसे ज्यादा सुहाती इस चैत्र में ही काल गणना की शुरूआत मानी होगी।
चैत्र मास का वैदिक नाम है-मधु मास। मधु मास अर्थात आनंद बांटता वसंत का मास। यह वसंत आ तो जाता है फाल्गुन में ही पर पूरी तरह से व्यक्त होता है चैत्र में। सारी वनस्पति और सृष्टि प्रस्फुटित होती है ,  पके मीठे अन्न के दानों में, आम की मन को लुभाती खुशबू में, गणगौर पूजती कन्याओं और सुहागिन नारियों के हाथ की हरी-हरी दूब में तथा वसंतदूत कोयल की गूंजती स्वर लहरी में।
चारों ओर पकी फसल का दर्शन ,  आत्मबल और उत्साह को जन्म देता है। खेतों में हलचल, फसलों की कटाई , हंसिए का मंगलमय खर-खर करता स्वर और खेतों में डांट-डपट-मजाक करती आवाजें। जरा दृष्टि फैलाइए, भारत के आभा मंडल के चारों ओर। चैत्र क्या आया मानो खेतों में हंसी-खुशी की रौनक छा गई।

नई फसल घर में आने का समय भी यही है । इस समय प्रकृति मे उष्णता बढ्ने लगती है , जिससे पेड़ -पौधे , जीव-जन्तु में नवजीवन आ जाता है । लोग इतने मदमस्त हो जाते है कि आनंद में मंगलमय  गीत गुनगुनाने लगते हैं । गौर और गणेश की पूजा भी इसी दिन से तीन दिन तक राजस्थान में की जाती है । चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन सूर्योदय के समय जो वार होता है वह ही वर्ष में संवत्सर का राजा कहा जाता है ,  मेषार्क प्रवेश के दिन जो वार होता है वही संवत्सर का मंत्री होता है इस दिन सूर्य मेष राशि में होता है ।
सभी हिन्दू चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नववर्ष मनाने का संकल्प ले | इस वर्ष 18 मार्च 2018 रविवार  को हिन्दू नववर्ष आ रहा है। सभी हिन्दू तैयारी शुरू कर दे।
आज से ही अपने सभी सगे-संबंधी, परिचित और मित्रों को पत्र एवं सोशल मीडिया आदि द्वारा शुभ संदेश भेजना शुरू करें ।
संस्कृतिरक्षा के लिए गांव-शहरों में 18 फरवरी नववर्ष निमित्त प्रभात फेरियां, झांकिया की सजावट वाली यात्राएं, पोस्टर लगाकर, स्थानिक केबल पर प्रसारण करवाकर नववर्ष का प्रचार-प्रसार जरूर करें ।

शुक्रवार, 2 मार्च 2018

भारत भूमण्डल के मंगलस्वरूप
आर्यावर्त की गौरव भारत
विश्व अभ्युदय के पुण्य स्रोत जगद्गुरू शंकराचार्य जी को अनंत नमन ,वंदन ।