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अभ्युदय भारत

संसार की सार आधार हो,
स्थूल, सूक्ष्म पावन विचार हो
दिव्य शांति सौम्य विविध प्रकार
जिनसे सर्वत्र क्लांत , क्रंदन की प्रतिकार !
करूणावरूणालया कल्याणकारिणी
मनःशोक निवारिणी लीलाविहारिणी
तत्वस्वरूपिणी दुःख भयहारिणी
व्याधिनाशिनी हे मनोहारिणी !
मंगलमय चिह्नों से युक्त वीस्तीर्ण नयन
वैभववेदान्तवेद्य ऐश्वर्य विद्या, धन
महारौद्ररूपिणी ! कोटि नमन
अनंत अनंत प्रणमन वंदन !
विश्व की उत्पत्ति, स्थिति प्रलय की प्रेरित
सूर्य- चन्द्र , वरूण , पवन से सेवित
अति शांत दिव्य पूर्णचन्द्र मनोहर
जय दुराध्या, कल्प – कल्प की धरोहर |
उज्जवल देदीप्यमान , त्वरित संकट हर
हूँ शरण्य, शरणागत की रक्षा में तत्पर !
सदा समर्पित तव चरणों में ,
नयन नीर भरी समुद्रकूप
प्रणमन् ! अति मंगलमयी प्रकृति !हे विश्वरूप !
सुख -सौहार्द- समृद्धि का पूर्ण प्रारूप …..
भारत , भूमण्डल के मंगलस्वरूप !!!
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कवि आलोक पान्डेय

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