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मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

नमन हे आर्यभट्ट


नमन आर्यभट्ट


ग्रह नक्षत्र सूत्र समेकन नदियों का कल कल निनाद ,
गणित सार ज्योतिष रहस्य करता सदैव हे आर्यभट्ट याद !
है सत्य धरा को तूने शुन्य परिचय ज्ञान दिया ,
सागर की गहराई से अंतरिक्ष ऊंचाई का मान दिया ।
पृथ्वी मान परिक्रमा परिधि को दिखलाया तूने विचित्र ,
 ‘आर्यभट्टीयम’ रचना अमोघ को कैसे दिया साध सुचित्र ।
राष्ट्र गुरु नहीं विश्वगुरु हो , हो भारत की अमर वाणी ;
 युग युग से कीर्ति रहे अमर , हे सुसंस्कृत सभ्यता के प्राणी ।
ग्रह का ज्ञान स्पष्ट परिलक्षित , पाई को तूने साध दिया ,
 खगोल अन्वेषण संधानों से पूरे भूगोल को बांध दिया ।
समस्त भूमण्डल को कर प्रकाशित , किया मेधा शक्ति संपन्न ,
टुकड़े-टुकड़े लुटेरों तंत्र ने आज , हाय ! विघटित कर किया विपन्न ।
दूरदर्शिता विश्व सभ्यता के रक्षक पुन: आओ हे भारत वीर ;
कटुता-विक्षोभ, विघटन मिटाने लाना अतीव सूत्र गंभीर !
हे विप्रश्रेष्ठ ! शत बार नमन ।
अनंत अपार प्रणमन् वंदन !

✍🏻 आलोक पाण्डेय
          वाराणसी,भारतभूमि

शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019

कहो सत्य कथा विस्तृत

अहो बन्धु ! कहो सत्य कथा विस्तृत
शुद्ध-भाव,उन्नत विचार लेकर हूँ प्रस्तुत
योगिराज की ध्यान सुना दो
या सुना दो जयघोष,
हिमालय सा अटल, हिमगिरी की गंगा सा निर्मल
अहा , कैसा विराट् वीरों का रोष !
वीर विक्रमों का गौरव सत्य का संधान,
सुना दो या कोई ‘विजयध्वज’ का अनुसंधान
जयजयध्वनि प्रतिमन्दिरों का या,
सुना दो शाश्वत अपौरूषेय वेदघोष
ज्वाल्यन्ते करालानी,या पुराणों का शौर्य जय घोष |
सुगंधित तुलसीवनानी सा या खौलते रूधिर-धारा का प्रवाह;
अनल ज्वलन ‘अरि’ विविध का,
परितः प्रस्फुट नीति-न्याय संवाह|
दृश्य न्याय-दर्शन सदा, अवलोक्यते शौर्य संचार
पूरयति सत्य अनेक शतकानी,
व्यतितानी यदि शुद्ध विचार
चन्द्रमण्डल सा धवल परिवेेष्टित ,
मन्ये कथितं तेज उत्कर्ष ;
कालवेग प्रकम्य सतत् वीरों का,
ज्ञायते तेजपुञ्ज हे भारतवर्ष !

अखंड भारत अमर रहे 🚩
वन्दे मातरम् !
जय हिन्दुस्थान हिन्दूभूमि

©

✍️ कवि आलोक पाण्डेय
              वाराणसी ,भारतभूमि